" ख़्वाब"(जज़बातो की तह तले)

ये ऐसे अल्फाज है जो,
हर किसी के दिल में कमाल हैं,
जिनके पूरे हो गए उनकी
क़िस्मत बेमिसाल है, नहीं तो
गरदीस में हैं जीवन और ख़्वाबे हजार है।

ख़्वाब खुली आँखों से देखने वाले
इसे पूरा हर हाल में करते हैं
मुश्किले लाख हो राहों में,
सामना डट के करते है।

ख़्वाब अपने होते है
उम्मीदे अपनो की जुड़ी होती हैं,
मेहनत खुद की होता है,
कामयाबी में साथ कईयों की होता है ।


किसी की मेहनत देर से रंग लाती है
हौसला बनाकर रखना पड़ता  है,
मेहनत  निरंतर जारी रखने पर
ख़्वाब अवश्य पूरा होता है।

मुश्किले हजार आई है पर
हारा नहीं हूँ मैं,
लोगों ने गलत धारणा बना ली है
पर इससे धबराया नही हूँ मैं
मंजिल मिलेगी मुझे भी एक दिन
इस उम्मीद में नित प्रयास करता हूँ
होगे ख़्वाब पूरे मेरे भी एकदिन
ये विश्वास रखता हूँ ।

मुश्किल है रास्ता हारा नहीं हूँ मैं
कमजोर ना समझना नकारा नही हूं मैं,
शायद साथ नहीं मेरी किस्मत
वरना प्रयास मैने भी बहुत किया है
छुपकर, धबराकर भागा नहीं हूँ मैं ।

ख़्वाब मेरे है पूरा मुझे ही करना है
हौसला ना हार कर, प्रयास नित करना है,
हर रोज देखता हूँ जिसे
वो  ख़्वाब है बड़ी खूबसूरत 
एक दिन  इसे साकार करना है ।

"कह दो जज़बातो से धबराया नहीं हूँ मैं ,
 हां है मुश्किल राह बहुत पर हारा नहीं हूँ मैं
 ना हारा हूं हारूंगा, सिध्य  कर दिखलाउंगा
ख्वाब मैंने देखे है तो साकार भी मैं ही बनाउंगा"

                                       -प्रीति कुमारी 


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