दिल तो बच्चा है

बचपन नदानियों से भरी
जवानी बेचैनियों सी भरी होती है
अब एहसास होता है
बचपन तो लाख गुणी अच्छी होती हैं ।

ना कोई जिम्मेदारी, ना चिंता थी
बचपन तू बहुत याद आती है
तेरे वक्त में ना थी कोई विवधा 
केवल जिंद करना और पल मे सब पूरा हो जाना, 
 यही सिलसिला कायम थी।


अहंकार, जीत -हार तो जवानी के तोतले है
बचपन तू तो सच्चा था
कहा समझता अपना और पराया था
जो धुमा दे, टांफी दिला दे
वही अपना ,दोस्त और रिश्ता पक्का था ।

बचपन में आजादी ना थी
जवानी में आजादी है तो सुकून नहीं
बचपन तेरी नदानी अच्छी थी
जवानी के जिम्मेदारियों के बोझ से
बहुत याद आती है तेरी
काश! तू लौट आती।

दिल बच्चा बनना चाहता है
जिम्मेदारी के साथ केयर खोजता है
केयर करे कोई बच्चों सा
ये दिल फिर बच्चा बनना चाहता है ।

थक गया हूँ जिम्मेदारियों के बोझ से
फिर से माँ का आँचल में सोना चाहता है 
दादी की वो अनदेखी कहानी सुनना चाहता है 
थक गया हूँ इस जीत हार की होड़ से।

आजा वापस ये बचपन,
तुम संग वेफ्रिक हो जीना चाहता हूँ 
दिल तो आज भी बच्चा है, 
बस वापस बचपन चाहता हूँ ।

                             -प्रीति कुमारी 

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