चोरी की मुहब्बत में अक्सर यही होता हैं

चोरी की मुहब्बत में,
अक्सर यही होता हैं
दरवाजे से जाते हैं,
खिड़की से निकलते है
ऐसे ही हालात से
हर युवा गुजरते हैं ।


दोनों ही मुहब्बत के
जज़बातो में जलते हैं
कोई शहर में बेसूद हैं
कोई घर में ही सिमटे हैं।

अपनो से ही छुप के
हर युवा मुहब्बत करते हैं
फिर चोरी -चोरी इसको
परवान चढ़ाते है
दोनों ही मुहब्बत के
जज़बातो में जलते है ।

परवान चढ़े मुहब्बत में 
खुद ही फिर जलते है 
घरवालों के नजरों में 
जब आके गुजरते हैं ।

तन्हाई की गहराई में 
फिर गहरा डूबा करते हैं
फिर गैरो से शादी कर
जीवन भर जवानी की मुहब्बत में 
यादों ही यादों में मन ही मन रमते हैं ।

चोरी की मुहब्बत में 
अक्सर यही होता हैं, 
मुहब्बत किसी से
शादी किसी और से होता है 
ऐसे ही हालात से 
हर युवा गुजरते हैं ।

                      प्रीति कुमारी 











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