जिदंगी अजीब है

हां मैं हूँ गरीब
पर तेरे जेब में परे नोटो से अमीर हूँ
इंसानियत है मुझमें
और गमे परवाह है मुझे
हर एक मुसीबतों में परे इंसान की।

अपनी अमीरी का खौफ ना दिखाइए
हमारी गरीबी के जलजले से कम ही है
माना अपकी दौलत बहुत हैं हमसे
पर लोगों के दिलो में जगह हमसे कम ही है ।


तेरी सौहरते घरी की घरी रह जाएगी
तेरे घमण्ड पर लोग हंसी उड़ाऐगे
अपनी तो पहचान इतनी है
भरी महफ़िल में सान इतनी हैं
कि हम दुनिया से जाएंगे पर
यादों में हर किसी के समा जाएंगे।

अफवाह फैली है कि हम गरीब है
हां माना कि हम गरीब है
तेरे महलो के आगे एक छोटी झोंपड़ी है
पर इसमें भी सुकून है
तेरे सौहरत से बड़ी मेरी पहचान है ।

क्या कमाया तूने, दौलत के सिवा
क्या ले जाएगा अपने संग मुहब्बत के सिवा
जीतना गुमान पाले बैठा है
जिस जिस को अपना बताए बैठा है
वही तुझे दफनाऐगे
तेरे ही दौलत से अपना आसिया सजाएंगे।

लोगों की मुहब्बत में वो तागत हैं
जिसकी बराबरी दौलत क्या करेगी
माना तू अमीर है, हम गरीब हैं
पर सोच जड़ा जनाजा उठने वक्त
ये दौलत क्या करेगी ।

रह जाती हैं जहाँ में एक व्यवहार अपनी
बाकी तो छलावा है, छल कर जाती हैं
क्यों दुखी हो ,धन की कमी से
ये तो बस साघन हैं,जो मोह माया लाती है
हां हम गरीब हैं, पर दिल से अमीर हैं।

                         प्रीति कुमारी 

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