लग जा गले ❤



पैमाना जाम का भरा है
ये महीना इश्क़ में पड़ा है
कभी रोज, कभी टैडी
जो आज हग पे रूका हैं ।

हर दिन ऐसी नहीं होती
मुहब्बत इतनी करीब नहीं होती
लाया हूँ समंदर से मोती निकाल के
तू लग जा गले बिन कोई सवाल के।
      
खोया रहूं मैं तुझमे, डूबा रहूं कसीस में 
तु इश्क़ है हमारा, तु ही मेरा किनारा
समझा सकूं तुझी को, समझ सकू तुझी को
तु है बस हमारा, तु हैं बस हमारा।

जो पा सकू वो तुम हो
जो निहार सकू वो तुम हो
तुम आरजू हो मन की 
तेरी ख्वाहिशेे है जन्मों जनम की।

लग जा गले की रूह को
आराम तनिक मिल सके
जो आस है कसीस की
वो  मुझको तुम में, तुमको मुझमे
हमको अपना, मन को अपना, कर सके 
लग जा गले,, ❤❤❤❤❤।
    
                              प्रीति कुमारी 

                                 

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