हम बार -बार करते हैं
एै सनम हम तो सिर्फ
तुमसे प्यार करते हैं ।
अनजान सफर में
गुमनाम सा ठिकाना था
तुम मुझमे थे खोये
मैं तुझमे थी खोई
बस चल रहा यही अफसाना था।
कह रहे निगाहो से तुम
समझ मुझे भी तो आना ही था
बातो की जुबा की जरूरत ना थी
इशारे, इरादे, नजरे,नगमो ने
बहुत खूब बयां कर डाला था।
शर्म, हया सब ओढ़े
पल दो पल का चल रहा बात
कुछ वादे, कुछ सपने
सब चर्चा में ही हो रहा उबाल।
मैं तुझे महसूस करूं
तेरी आरजू में जीउ और मरू
बस यही लग रहा उस पल मुझे
कि तुझे चाह लो, या छुपा लू
तुझे प्यार दूं या
तुुझ पे ही सब कुछ वार दूं।
कई गुनाह इश्क़ में
हमने बार बार किया
पर कसम की कसम
एै सनम हमने बस हर घड़ी
सिर्फ तुमसे से ही प्यार किया।
प्रीति कुमारी
1 टिप्पणियाँ
Super
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