आखिर शहनशा हूँ मैं
गर्व से कहता हूँ बिहार से हूँ
एक बिहारी सौ पर भारी ऐसा बंदा हूँ मैं ।
गैरो से भी अपनो सा
दुश्मनो से दुश्मनी का
एक -एक हिसाब रखूं
जो आ जाये मेरे आसरे
उसका मान बढ़ा कर रखू।
भाषा, वेशभूषा, मान -सम्मान
सब की मर्यादा रखूं उँची
हां मै हूँ बिहारी, ये जिंदगी
अपने बिहार के नाम करूं ।
जैन, बौद्ध ,विघापति, सीता की धरती है ये
पूरे भारत में है सबसे अनोखी
ग्यान -विग्यान, विद्वान, शौर्य की
है कितनी गाथाओ से भरी भूमि इसकी।
प्यार बाँटना, सम्मान बाँटना
हम बिहारी की है पहचान
अपने पर आ जाए तो
ना टिक पाये कोई भी हमारे सम्मुख समान
ना चोर हूँ, ना भिखारी हूँ
हां मैं बिहारी हूँ ,और हैं ये हमारी शान।
प्रीति कुमारी
2 टिप्पणियाँ
Nice
जवाब देंहटाएंSuper
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