तन शांत हो जाएगा
सारे अटकले,
अड़चनो का समाधान हो जाएगा ।
द्वेष, द्रोह,विद्रोह का फिर
ना कोई वजूद रह जाएगा
ना किसी के संग का
अर्धरंग रह जाएगा ।
होगी भयावह रात
जब कल्पना मुरझायेगी
सबके जुबा पर सिर्फ़ मेरी
कुछ कहानी रह जाएगी।
चोट को दवा,
दर्द को मरहम मिलेगा
गरज कर आएगी लहरे फिर
जीवन को चिन्तन से मुक्ति मिलेगा
जब मन से मोह भंग
तन शांत हो जाएगा ।
प्रीति कुमारी

1 टिप्पणियाँ
Super
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