धड़कनों को ऐसे चुड़ाया हैं उसने
उसकी बाद की बेरूखी में भी
उसका ही साथ चाहिए ।
चाहे कर दिये हो उसने कैसे भी हालात
बस उसकी ही मुहब्बत का हर वक्त
इस दिल को एहसास चाहिए ।
कुछ अलग नहीं वो इस जहाँ से
ना ही कुछ खास हैं
ना ही वो मुहब्बत की बस्ती का
आखिरी अल्फाज हैं ।
चाहने वालो की कमी नहीं
बस इस धड़कन को उसके ही
एहसासो की लत जोड़ो से लगी है
जिसको इसकी कदर ही नहीं है ।
भूलना मुश्किल नहीं जब चाह लूं भूलना
पर एक उम्मीद लगी है उसके बदल जाने की
वो समझेगा मेरी जज़बातो को
मेरी मुहब्बत भरी हर बातो को।
सफर तो कटता ही जाएगा
कौन जानता है क्या होगा आगे
पर तेरा ही साथ रहे जीवनभर
तू पास रहे मेरे हर पल।
ये ही मेरी दिल की ख़्वाहिश है
तेरी मुहब्बत भले ही बदल रही
पर मेरी धड़कनो में तो कल भी तू ही था
आज भी तू ही इस दिल में समाया है ।
प्रीति कुमारी
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