उसने मेरा मनोबल तोड़ा पर
मुझे उसे नहीं तोड़ना
अगर इश्क़ सच्ची है मेरी तो
फिर कोई बैर क्या पालना।
उसकी खुशी के लिए इतना भी ना करू
वो रूकना ना चाहे फिर भी रोकू
तो ये मेरे प्यार की तौहीन होगी
उसकी खुशी मे अपनी खुशी ना देखू
तो फिर प्यार कैसा ।
वो जहा रहे खुश रहे
यही दुआ ताउम्र रहेगी
मैने चाहा हैं टूटकर उसे
उसकी सलामती ही मेरी आरजू रहेगी।
बस एक गुज़ारिश है रब से
कही कभी दिखे ना
मुझे वो गैरो की बाहों में
टूट कर संभल जाउंगा बेसक
देखकर फिर बिखड़ना नहीं चाहता।
हक तो मेरा था ही नहीं कभी
इसलिए आखिर वक्त भी जताया नहीं मैने
हा इश्क़ है बहुत उससे इसलिए
आखिर लब्ज था लौट आना इंतजार रहेगा
अगर ये भी कहना गलत था तो
गुनाह ही सही
ये गुनाह को कई बार दोहराया हमने।🙏
प्रीति कुमारी
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