उलझ गई है जिंदगी

वो शख्स कितना शातिर होगा
सोचो वो शख्स कितना शातिर होगा
जिसने दिल में जगह भी बना ली
और साथ देने से भी मुकर गया।


कितनी चाले चली होगी उसने
इस हद तक गुजरने के लिए
कितने झूठो के पूल बांधे होगे
इस दिल से खेलने के लिए ।

चालाकियो के दौड़ में वो तो चीता निकला
सरमा जाए हर झूठी मुहब्बत
जिसकी गली का वो बादशाह निकला।

बड़ी सिद्दत से वो दिल तोड़ जाता हैं
पता भी नहीं चलता और
साथ छोड़ जाता है
कहता हैं तुझमे ही कमी है और
अपनी कमी को चलाकियो से छुपा जाता है ।

बातों से कहाँ मन के खोट का पता चलता है
बातों से दिल रखा जा रहा
या बात दिल में रखी जा रही
कहाँ कुछ पता चलता है ।

    प्रीति कुमारी 





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