चाहतो की हद ना थी

हुत भरोसा किया था हमने
तोड़ा भी इसलिए गया हूँ
चाहा था हद से भी ज्यादा
इसलिए छोड़ा गया हूँ ।


हदों को पार कर जो मुहब्बत की थी
वजूदों से तब ही तो तोड़ा मरोरा गया हूँ
कभी जो नजरो में खिलता था
उसी की नजरो से छोड़ा गया हूँ ।

जिंदगी रूकती नहीं किसी के जाने से
चलो एक अनचाही कोशिश करते हैं
उसे भूलाने की ,उससे दूर जाने
उसके रास्तो से हट जाने की ।

चाहतो की हद ना थी 
इसलिए तो तोड़े गए हैं 
वरना कौन सी गलती थी हमारी
जो इस तरह रोते हुए रह गए हैं ।

तकलीफ सहने की आदत सी है
भूलना बिछड़ा सब किस्मत हैं
जो साथ रह जाये वही खास होता है
जो छोड़ जाए साथ वो दगाबाज ही होता है ।


प्रीति कुमारी

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