अदब अदब में गजब कर जाते हैं

अदाए तो हमने भी देखी है मुहब्बत के
लोग अदब अदब में गजब कर जाते हैं
इतनी जिस्मानी हो गई है मुहब्बत अब की
लोग रूह के मिलन को कहा समझ पाते हैं ।


जिसने भी लुटाई हैं सादगी अपनी
वो अक्सर हारा हुआ ही मिलता हैं
मिले बदले में उसे सच्ची आशिकी
ऐसा आज के जमाने में कहा चलता हैं ।

रिवाज तो इश्क का बस बर्बाद करना है
लूट जाए मुहब्बत में दो तरफा कोई
ऐसा अब रिवाज कहा
आना जाना समय बिताना यही
इश्क़ है अब के जमाने की।

जिसने भी कर ली सच्ची मुहब्बत
उसकी सांसे तक लूट जाती हैं
गमों की बरसात में डूबा हुआ
वो शख्स खुद की हर चाह फिर भूल जाता है ।

हारा हुआ सिमटा हुआ
बस दुआ मागंता रह जाता है
ये खुदा सब ठीक कर दे
आँखो में आँसू लिए बोलता रह जाता है
वेवफाई करने वाले कहा फिर भी समझ पाते हैं
चले जाते हैं तन्हा कर और गैरो का ख़्वाब फिर सजाते हैं ।

प्रीति कुमारी

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