तेरा साथ ना सही
बस तेरी यादें रह जाएगी।
बीते पलों को याद कर
कुछ लम्हा उदास हो जायेगा
आसुओं की बारिश
उस रात फिर हो जाएगी
साथ बिताया वक्त जब जहन में आ जाएगा।
कैसे कटेगा वो पल
जब मैं मजबूर होंगी
अपनी चाहत को छुपा कर
तुमसे बहुत दूर होंगी।
वो लम्हा कभी नहीं आएगा फिर
तुम हमारे हो ये जहन से उतर जाएगा फिर
वो वक्त भी कितना बेचैन करेगा
जिसे हर रोज दुआओं में मांगा था मैंने
वो बिन मांगे ही किसी का नसीब होगा।
बेबस कितना इंसान होता है
मोहब्बत का खिस्सा क्यू
इस तरह नीलाम होता है
ख्वाइश अधूरी ही रह जाती हैं
ना जाने क्यू मोहब्बत ही बेहिसाब होता है।
मिलो कभी जाने अनजाने तो गले लगा लेना
बिन किए कोई सवाल ज़बाब
अपनापन का अहसास जता देना
हक तो नही होगा मेरा तुमपर
फिर भी हद में ही सही हक जता देना।
बिछड़ने की बला पहले जानते
तो इस हद तक तुम्हे चाहते ही नहीं
कमजोर दिल मेरा , कमजोर हम हैं
इसको और कमजोर बनाते ही नहीं
हम मोहब्बत में पर कर तरपे
ऐसी नौबात लाते ही नहीं।
प्रीति कुमारी
1 टिप्पणियाँ
Super
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