उल्फत ऐ इश्क़

अहले वफ़ा अब हमसे ना हो पाएगा
बहुत सहा है इस दिल ने
अब ये ना सह पाएगा।


अभी तो ये संभला भी ना हैं
तुम फिर से मोहब्बत की बात करते हो
एक तन्हे , टूटे इंसान से
हाय ! तुम ये कैसी मजाक करते हो।

दिल तोड़ने वाले ने कौन सी
कसर छोड़ी है इसे दुखाने में
जो तुम एक नया दवा
लेकर आ गए मरहम बनाने को।

उलफत ऐ इश्क़ से ये दिल ....…
अब दूर रहें तो ही अच्छा
दिल लगा कर रोये , मजबूर बने
उससे अकेलेपन का दर्द सच्चा।

मतलब की खामोशी हैं अब
बेमतलब का तमाशा नहीं चाहिए
ये दिल मेरा हैं जैसा भी हैं
टूटा है तो टूटा ही सही
पर झूठे रिश्ते के साथ रहकर
मोहब्बत का झूठा सहारा नहीं अच्छा।

बहुत हो गया इश्क़, मोहब्बत
अब बस..... .......….
अब एहसास का तमाशा नहीं चाहिए
इसलिए नहीं करना इश्क़ फिर से
अब हमे इश्क़ दुबारा नहीं चाहिए।

प्रीति कुमारी



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