दिल की आवाज़

जो नहीं मिला अब उसका इंतजार नहीं हैं
इतने कांड देख लिए उसके की
अब सच में उससे प्यार नहीं ।


हम से ना पूछो दिवानगी इश्क़ की
हम रास्ते में रुक कर घबराते बहुत हैं
जिसे चाहते हैं बहुत चाहते हैं
अगर उतार दिया दिल से तो फिर
बात करने से भी कतराते बहुत हैं।

बहुत दर्दों गम के बाद दिल फिर
उस गली को जाना चाहता है
मोहब्बत का तो पता नहीं
दिल फिर किसी के करीब जाकर
खुद को मुक्कमल बनाना चाहता है।

छोड़ा था उसे  उसकी बेवफाई देख कर
दिल फिर से वफ़ा पे यकीन करना चाहता है
गुनाह सा लगता हैं मोहब्बत का हर लब्ज
इन लब्जो से दिल फिर से गुजरना चाहता है।

उदास बीते जिंदगी के वक्त ,
गुमशुम उदास सा मन
कुछ सुनहरे पल मांगते है
कब तक खोया रहेगा ये दिल गमों में
चलो फिर से खुशी के कुछ पल बांटते हैं।

प्रीति कुमारी

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