इस क़दर तुम्हे चाहने लगे
मुसलसल तुम कहते रहे, हम सुनते रहे
पर तुम्हे ठुकरा ना सके।
बाहों में रहे या निगाहों में रहे
हमे कहा फर्क परता हैं
तुम बस मेरे रहो, सिर्फ मेरे
केवल यही सोच सुकून देता है।
माना यकीन टूट गया
पर रिश्ता अभी भी बाकी है
लाख कोशिश की मैं भुला दूं तुम्हें
पर तुम जुनून हो मेरे
साथ रहने को इतना काफी है।
तुम्हारे होने की तवज्जो
दिल को देती हूं
बिछड़ने का गम नहीं
साथ जीने की ख़बर खुद को देती है।
प्रीति कुमारी
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