मिलेंगे बहुत जल्द किसी मोड़ पर

चले थे कुछ सोच कर
हर दर्द को पीछे छोड़ कर
कुछ अलग पहचान की आस में
तुझे पा सकें इस प्यास में।


ये रास्ता बड़ा गमगीन हैं
हर कदम पर कई मीन हैं
कभी टूटती उम्मीद हैं
तो कभी सफर लगे असहाय हैं।

क्या पाया क्या खोया
सब तकदीर का खेल है
पर उम्मीद नहीं टूटी है तुझे पाने की
शायद इस जन्म में हम दोनो का मेल हैं।

मिलेगी तू किसी मोड़ पर
तेरे बिन जिन्दगी बड़ी उदास हैं
संघर्ष हर मोड़ पर
लगी होड़ में खुद को पाने की तलाश हैं।

कई रात कट गई बिन नींद के
कई स्वपन ठहरे है परे
कई अपने पीछे छूट गए
कई आस मन ही मन टूट गए।

सब खो कर भी तुझे पाना है
तेरे लिए जिन्दगी को सौ दफा आजमाना हैं
चले थे जो सोच कर
उसे पूरा कर ही दिखाना है।

प्रीति कुमारी



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