सिद्दते इश्क हम......

सिद्दते इश्क़ हम उनसे दिन रात करते हैं
और वो हैं की ना जानें किन_ किन पे मरते हैं
कभी कभी टूटा दिल भी धड़काने आ जाते हैं
वो अपना समझते हैं.....
तभी तो बीच बीच में आकर तरपा जाते है ।


क्या शिकायत करू उनकी
शिकायत तो गैरों की होती हैं
जो मुकद्दर में ही ना हैं लिखा
उनसे ये खुदा मुलाकात ही क्यू होती हैं?

कबीले तारीफ है उनकी बेवफाई
वफा का भ्रम आख़िर पल तक बनाए रखा
बिछड़ने का गम ना था उन्हें
पर बिछड़कर तरपेगे वो भी
ये खुबसूरत भ्रम बनाए रखा।

जो तरपा के चला जाए
दिल उन्हीं के लिए तरपता हैं
बेशर्म बनकर दिल उनसे
बाते करने को तरसता है।


यादों की झड़ी जब लगेगी एक दिन
यकीनन हम भी उन्हें याद आएंगे
चाहेंगे वो उस वक्त लौट आना
पर फिर हमे पा नहीं पाएंगे।

इन खुबसूरत से खयालों से निकल कर
हम एक नई दुनिया बसा चूके होंगे
वो यादों के सहारे, किसी और में
सच्ची मोहब्बत फिर तलाशते फिरेंगे
मेरी छवि को औरों में निहारते फिरेंगे।

प्रीति कुमारी



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1 टिप्पणियाँ

  1. जिस यादों के नदी में आप उन्हें डूबा रही हैं आपको क्या पता इस नदी में वह तो पहले से डूब चुके हैं हां कमी उनमें इतना थी वह बता ना पाए अपने प्यार को वो जता न पाए अपने प्यार को इसीलिए तो आप समझते हैं वो प्यार कर ही ना पाए आपको मगर यह आपकी भूल है जिसे आप समझ नहीं पाए भला कैसे वह समझा है आपको जब सच का पता चलेगा आपको तो दिल का जाम आंखों से छलक जाएगी आपके

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