तेरे कदमों में खुशियां रख दू

लक्ष्मी तू मेरे घर की बन ना सकी
मेरे दिल की हमेशा रानी रहेगी
मुकद्दर में मिलना भले ही ना हो
पर तू इश्क़ मेरी खानदानी रहेगी।


मोहब्बत के शुरुआत में कहा पता चलता है
बाद में क्या होगा इस पे कहा सोच चलता है
तूही दुनियां तूही जहान, मिलने से कोई रोक दे
ये सोच दूर तक मन में नहीं पलता है।

खैर तू अब किसी गैर की हो जाएगी
अब मिलने मुझसे कभी नही आ पाएगी,
दिल धड़केगा फिर भी तेरे नाम से।

तरपेगे मिलने को पर मिल नही पाएंगे
जमाने में बदनामी ना हो तुम्हारी
इसलिए मेरा इश्क़ मेरे दिल में ही दफन हो जाएगा
लक्ष्मी तू लक्ष्मी बन जाएंगी किसी के आंगन की
ये सोच मेरा प्यार मर्यादा में बंध जाएगा।

तेरे कदमों में खुशियां होगी
मेरे जीवन में अंधकार होगा
चढ़ेगा चाहत का रंग जब तुम पर किसी और का
मेरे प्यार के रंग की खूबसूरती फिर बेकार होगी।

तुम किसी और की हो जाओगी
मेरी मोहब्बत को फिर भूल जाओगी
कहने को बस हम तुम्हारे होगे
अपनापन का भाव कहा ला पाओगी।

देखते देखते ये रिश्ता बनावटी हो जाएगा
मेरा इश्क़ धुंधला, किसी और का रंग चढ़ जाएगा
खुशियों की अजाइसे उसके साथ चलेगी
मेरी तो हमसफर जुदा होगी
दिल में गमों का सैलाब उठेगा
जब तेरी डोली उठेगी,
तेरी बरात तुझे लेकर चलेगी
मुझे गमों में डुबोकर चलेगी।

प्रीति कुमारी 







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