हो हल्ला मचा के रखा है तुमने
लो आ गई बताओ......
कितना प्यार छुपा के रखा है तुमने।
अब ये मत कह देना की तुम जान हो मेरी
बस शादी नहीं कर सकता लेकिन....
पहली और आख़िरी मोहब्बत की
तुम इकलौती पहचान हो मेरी।
ऐसे इरादे से आए हो तो वापस ही लौट जाओ
ले जाओ अपनी खोखली मोहब्बत को
आइन्दा अपना मूंह मुझे ना दिखाओ
झुठी मोहब्बत की शान तुम्हें मुबारक
इश्क़ पहली हो या आखिरी तुम जानो
पर मुझे मेरा आत्मसम्मान मुबारक।
क्या वफा करते हो
मुझे भी समझ आ रहा है
ऐसी भी कौन सी इश्क़ हुई है तुम्हें
जो बेहद हैं पर शादी करने में शर्मा रहा है।
ये ढोंग स्वांग की चाहत
सनम हमें ना दिखाओ
ना तुम कृष्ण हो ना मैं राधा
सो कलयुग के प्यार की परिभाषा हमे ना समझाओ
जाओ जाओ इश्क़ का हो हल्ला ना मचाओ
हमे हमारे हाल पे तन्हा ही छोड़ जाओ
झूठे इश्क़ का हमे पाठ ना पढ़ाओ।
प्रीति कुमारी
2 टिप्पणियाँ
बहुत अच्छा लिखी है जी
जवाब देंहटाएंशुक्रिया जी
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