औरत तेरी यही कहानी ....🥺

क्या कहा साहब उसने खोया ही क्या है.....
बचपन का आंगन छूट गया
सँगी साथी, चंचल अदा, बेफिक्र जिंदगी छूट गया
भाई का साथ,पिता का साया , मां का आँचल छूट गया।


शॉर्ट्स मे भी गरमी गरमी करने वाली
अब घूंघट में भी दिन रात काम कर लेती हैं
मायके में दस बजे उठने वाली
सबके उठने से पहले आधा काम समेट लेती हैं
सबसे पहले उठकर भी सबसे बाद में सोती हैं
वो बेटी नहीं अब बहू हैं ये सोच कर
चुप चाप मायके का मान ससुराल में रख लेती हैं
इतना सब छूटने के बाद भी खुशी खुशी जी लेती हैं..🤗

दिन को गुजार दी ख़्वाब सजाने में
राते गुजर गई बच्चे सुलाने में
कहते हो उसने किया ही क्या तुम्हारे लिए
उसने अपनी जिंदगी गुजार दी तुम्हारे घर बनाने में।

उस घर की दहलीज पर पूरी उम्र बीत गई
जिस घर की तख्ती पर उसका नाम तक नहीं
जिंदगी बिता दी अपना मानते मानते जिस घर को
उसकी मर्ज़ी से उसके घर की दीवार तक नहीं
घर घर की औरत तेरी यही कहानी
जहां हैं जज़्बा अन्नायाय से लड़ने की वहा बदनामी
जहां हैं खामोशी वहा अत्याचार की हैं बेइमानी
औरत की है यहीं कहानी।

प्रीति कुमारी


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