ऐसे हमसफर बन पाओगे क्या .......

तुम कदम से कदम मिलाकर नहीं चलना चलेगा
पर मेरे बढ़ते कदम को रोकना नहीं
लडकी हूं कहकर बात बात पर टोकना नहीं।


गलत रहू तो बेसक रोकना
पर ज़माना क्या कहेगा पर टोकना नहीं
तुम साथी बनकर साथ निभाना
मेरे हर सही फैसले को दिल से अपनाना।

जमाना शायद शुरूआत में ना समझे
पर तुम समझना और हाथ से हाथ मिलाना
ऐसे हमसफ़र बन पाओगे क्या?
तुम मेरे कदम को हमेशा बढ़ा पाओगे क्या?

कौन, कब, कैसे सबसे अलग
तुम से ही होगा ये.........
ऐसा हौसला दे पाओगे क्या?


तुम्हारी दौलत पर गुमान नहीं करना मुझे
अपनी पहचान से तुम्हें गुमान करवाना है
कदम से कदम ना सही
मेरे हर सही कदम पर मेरा साथ दे पाओगे क्या?

मुझे आजादी ही नहीं, अपने स्वाभिमान से भी जीना है
पापा ने कभी नहीं रोका..........
आगे तुमसे भी यही सपना है
तुम्हारी सारी मान रख लूंगी
तुम मेरा सम्मान बचा लेना
दबा, कुचला जीवन नहीं
बस आजादी का आसिया दिला देना
तुम ऐसे हमसफर बनके दिखला पाओगे क्या?

प्रीति कुमारी



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