जिसमे की कोई बाधा ना हो
जब मनुष्य रूप में जन्में हैं तो
फिर क्यों संघर्ष यहां आधा _आधा हो।
खड़ा अडिग चट्टानों को भी
मांझी ने तोड़ गिराया था
उससे बड़ी तो राह की बाधा नहीं
जिससे घबराये मन और
भाग रहा इरादा हों।
तुम व्यर्थ चिंता में अटके हो
संघर्ष करो क्यू राह से भटके हो
अगर संघर्ष सफलता नहीं भी दे तो
पथ पर चलना वयर्थ ना जाएगा
सीख,समझ, ज्ञान, विवेक, बुद्धि तो
निश्चित ही निखर जाएगा।
हर काम सफलता नहीं होती
कुछ ज्ञान सीख भी जरूरी है
बल से केवल जीत नहीं
थोड़ा विवेक भी जरूरी हैं।
मन शांत, संघर्ष सुसज्जित कर
निरंतर राह पर चलते जाओ
पथ का संघर्ष ही सफ़लता है
तुम इससे व्यर्थ नहीं घबराओ
बस यूं समझ लो ईश्वर की यही ईक्षा हैं
रास्ते का हर पत्थर......
जीवन मार्ग की परीक्षा है।
प्रीति कुमारी
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