मैने अपने दिल को मजबूर होते देखा है
कितना, कब ,कौन, क्या मालूम, क्यूं बताऊ
पर सच कहूं तो उसे मगरुर होते देखा हूं।
खुदा के वास्ते हजारों वादों से गुजरा है
मेरा रिश्ता एक गलत इरादों से गुजरा है
पल पल साजिशों के घेरे में..........
अपनो के नाम पर अपनो से ही टूटा है।
तुम जान क्या कह गए
जाते जाते जान भी ले गए
कहा था ख़्वाब हो तुम मेरी
टूट गया जैसे वैसे ही निकल गए।
कितना सताया है, क्या सोच कर
मगरूरियत है तुममें ये भुला दिया
अब डरते हैं इश्क़ के नाम पर
चलो जिंदगी में तुमने एक सबक तो सीखा दिया।
बेवजह तुम पर इलजाम नही लगाएंगे
जाओ सजा लो अपनी खूबसूरत दुनियां
हम तुम्हारी बेवफाई किसी को नहीं बताएंगे
कभी सामने आ जाओ तो निगाहें चूड़ा लेना
वफ़ा तो नहीं तुममें कम से कम हया अपनी बचा लेना।
प्रीति कुमारी
6 टिप्पणियाँ
Super ❤️
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंSuper ❤️
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया
हटाएं👌❤️❤️❤️👌
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