ये संघर्ष कठिन है राहों की

ये संघर्ष कठिन है राहों की
तुम डरो नहीं अंधियारों से
सब पल में ख़ाक हो जाएगा
हुंकार भर जब तू आएगा।


दीवानों की ये बस्ती है
यहां लगन ही तो बस सस्ती है
हर गली में एक दिख जाएगा
जो हार कर फिर से लड़ता नज़र आएगा।

लोग क्या कहेंगे सोचना नहीं
तुम राह पर अपने टूटना नहीं
जब चार सितारे चमकेगे
यहीं लोग वाह वाही पटकेंगे।

ना लक्ष्य पा कर भी तुम जीवन मार्ग में शेर ही हो
क्या किया कहने वालो की बोलती बंद हो जाएंगी
जब विषयवार विषयों में ज्ञान की तुम्हारी
उन्हें अहमियत समझ आएगी।

समझना उन्हें जरूरी है जो
योग्यता नहीं परखते है
जो ज्ञान की एक मात्र धुरी
सरकारी नौकरी और अंग्रेज़ी को समझते हैं।

कई बार गिर कर उठते _उठते
एक पत्थर से पहाड़ बन जाता हैं
चलने से पहले और गिरने के बाद
इंसान बहुत बदल जाता हैं
वो योग्य, सभ्य बन जाता हैं
अपनी अलग पहचान बनाता है।

प्रीति कुमारी


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