मां मै तेरे अन्दर हूं

कब तक मुझको जलना होगा
कितना घुट घुट कर मरना होगा
ऐ मां मै तेरे अन्दर हूं
तू सुन ना मुझे मैं कितनी सुंदर हूं।


दुनिया देखनी है मुझको
तेरी ममता में मुझे पलना है
तेरी संगी बनकर इस जग में
तेरी बेटी को भी पलना है।

बस एक बार लड़ जा तू
इन ओछे समाज की जंजीरों से
बस मुझको दुनियां दिखला दे
मेरी मां तू मुझको अपना ले।

बापू की शान बनुगी मैं
तुमको सम्मान दिलाउगी
जो तुमसे छूट गया जीवन में
वो सब मैं कर जाऊंगी ।


ना मार मुझे यूं कोख में तू
दम घुट रहा, तू सुन तो सही
केवल तुमने मुझको जाना है अब तक
तो तू तो सब से लड़ मेरी सांसों के लिए।

मेरी मां तू मुझको अपना ले
छोड़ खोखले रिश्ते को
मै तो तेरे अंदर हूं मां
मां तू तो समझ मेरे मन को
कब तक मुझको जलना होगा
यूं घुट घुट कर मरना होगा।

प्रीति कुमारी


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