मैं तो एक विराम हूं,

"ये ज़िंदगी"
आखिर कब तक गिरना होगा
कब तक मुझको जलना होगा
कितने दर्द लिखें है राहों में
तू ही बता कब तक सहना होगा।



निभाने वाले निभा जाते हैं,
उन्हें समझाया नहीं जाता
अगर हो इश्क़ तो व्यवहारों में दिखता है,
शब्दों में बार बार जताया नहीं जाता।

ये इश्क़ ,ये राज़ ,
हमदर्द _हमराज
ये हंसना ये रोना,
मन जिसे चाहे उसका होना
हर किसी के हिस्से में नहीं होता
हर किसी के किस्से में नहीं होता।

बिना मांगे मिल जाए
बिना खोए सब अपना हो जाए
कुछ सोच लू तो पा लू
जो पा लू वो साथ रखूं
हर किसी के साथ ऐसा नहीं होता
हर किसी का किस्सा एक जैसा नहीं होता।

सोचते हैं ज़िंदगी तू कहा ले जाएंगी
"जिन्दगी से"
इश्क़ करवाएगी या मौत फरमाएगी
चल जी लेते हैं तेरी ही मर्ज़ी से
तू बरस जा अपनी खुदगर्जी से।

मैं तो एक विराम हूं,
शून्य हूं, समसान हूं
ना कोइ खुशी, ना ही कुछ अरमान हैं
मेरी ज़िंदगी बस तेरी गुलाम है बस तेरी गुलाम है।

प्रीति कुमारी 





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