Rath Yatra: ढाई सौ साल पुरानी परंपरा के साथ निकलेगी रथ यात्रा, इस बार नए रथ पर सवार होंगे प्रभु जगन्नाथ

Rath Yatra: ढाई सौ साल पुरानी परंपरा के साथ निकलेगी रथ यात्रा, इस बार नए रथ पर सवार होंगे प्रभु जगन्नाथ

Rath Yatra: सरायकेला-खरसावां जिले के हरिभंजा में इस वर्ष भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नये रथ की सवारी कर गुंडिचा मंदिर (मौसी बाड़ी) पहुंचेंगे. ओड़िशा के कारीगरों द्वारा रथ का निर्माण किया जा रहा है. रथ मेला की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है.

writer : प्रीति 
  

Rath Yatra| सरायकेला-खरसावां जिले के हरिभंजा में इस वर्ष भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नये रथ की सवारी कर गुंडिचा मंदिर (मौसी बाड़ी) पहुंचेंगे. रथ मेला की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही है. नये रथ का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में है. ओड़िशा के कारीगरों द्वारा रथ का निर्माण किया जा रहा है. रथ में इस बार नई लकड़ियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ये लकड़ियां चाईबासा के डिपो से मंगायी गयी है. अगले सप्ताह तक रथ का निर्माण कार्य पूरा होने की संभावना है.


अक्षय तृतीय से शुरू हुआ रथ का निर्माण कार्य

हरिभंजा में प्रभु जगन्नाथ के रथ का निर्माण कार्य अक्षय तृतीया के शुभ दिन से शुरू हुआ है. विधिवत पूजा-अर्चना करने के बाद कारीगरों द्वारा रथ का निर्माण कार्य शुरु किया गया. इस वर्ष रथ को काफी आकर्षक बनाया जा रहा है. छह पहिये वाले इस रथ में अलग-अलग कलाकृतियां रेखांकित की जा रही है. इसके अलावा रथ में विभिन्न विग्रहों की प्रतिमूर्तियां भी उकेरी जायेगी. रथ के गुंबद को भी आकर्षक रूप दिया जायेगा. इसके लिए पुरी से विशेष कपड़े मंगवाएं जायेंगे. रथ का निर्माण पूरा होने के बाद इसकी रंगाई-पुताई कर इसे और भी आकर्षक बनाया जायेगा.

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11 जून को स्नान, 27 जून को निकलेगी रथ यात्रा
हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में स्थापित प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा की पूजा करते श्रद्धालु
रथ यात्रा के दिन नए रथ की प्रतिष्ठा की जायेगी. इसके बाद प्रभु जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ पर सवार होंगे. हजारों श्रद्धालुओं द्वारा रथ को खींचकर गुंडिचा मंदिर तक पहुंचाया जायेगा. इस वर्ष प्रभु जगन्नाथ की स्नान यात्रा 11 जून को आयोजित की जायेगी. इसी दिन 108 कलश पानी से प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा व सुदर्शन के प्रतिमाओं का महास्नान कराया जायेगा. इसके 15 दिनों के बाद प्रभु जगन्नाथ का नेत्रोत्सव सह नव यौवन दर्शन होगा. 27 जून को प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ नये रथ पर सवार हो कर गुंडिचा मंदिर (मौसीबाड़ी) के लिये रवाना होंगे.

ढाई सौ साल पुरानी है हरिभंजा की रथ यात्रा
गांव के जमींदार विद्या विनोद बताते है कि हरिभंजा में प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा पिछले ढाई सौ साल से भी अधिक पुरानी है. उनके पूर्वजों ने 17 वीं सदी में प्रभु जगन्नाथ के मंदिर की स्थापना कर पूजा-अर्चना शुरु की थी. साल भर यहां चतुर्था मूर्ति प्रभु जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा व सुदर्शन की पूजा होती है. इसके अलावा पूरे उत्साव के साथ वार्षिक रथ यात्रा का आयोजन होता है.

जगन्नाथ मंदिर बना आकर्षण का केंद्र

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हरिभंजा स्थित प्रभु जगन्नाथ मंदिर का मंदिर
हरिभंजा का जगन्नाथ मंदिर पूरे जिले के लोगों के लिये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां वर्ष 2015 में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था. मंदिर को करीब से देखने व निहारने के लिये सालों भर यहां श्रद्धालुओं का आवागमन होता है. मंदिर के बाह्य दिवारों में भगवान विष्णु के दस अवतार की अलग-अलग मूर्तियां लगायी गयी है. जबकि मंदिर के अंदर 10 दिगपाल, जय-विजय समेत कई मूर्तियां बनायी गयी है.

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