**भगवान जगन्नाथ और कटहल चोरी की कथा: एक अद्भुत मित्रता की कहानी**
---Authored: प्रीति
### 🏞️ कथा का आरंभ
पुरी के एक छोटे से गाँव में रघुदास नामक एक भक्त रहते थे। वे भगवान श्री जगन्नाथ के परम भक्त थे और उनका जीवन साधना और भक्ति में समर्पित था। रघुदास जी के पास कोई संपत्ति नहीं थी, लेकिन उनका दिल विशाल था और वे भगवान के प्रति अपनी भक्ति में लीन रहते थे।
---
### 🌿 भगवान की इच्छा
एक रात, भगवान श्री जगन्नाथ ने रघुदास जी से कहा, "रघु, आज रात हम राजा के बगीचे से कटहल चुराएंगे।" रघुदास जी चौंक गए और बोले, "प्रभु, आप तो सर्वशक्तिमान हैं, आपको चोरी की आवश्यकता क्यों है?" भगवान मुस्कराए और बोले, "रघु, चुराकर खाने में जो आनंद आता है, वह सहजता से मिलने वाली चीज़ों में नहीं मिलता।"
---
### 🍃 चोरी का प्रसंग
रघुदास जी ने भगवान की बात मानी और दोनों राजा के बगीचे की ओर चल पड़े। भगवान ने रघुदास जी से कहा, "तुम पेड़ पर चढ़ो और कटहल तोड़कर नीचे गिराओ, मैं उन्हें पकड़ लूंगा।" रघुदास जी पेड़ पर चढ़े, लेकिन जैसे ही उन्होंने कटहल तोड़ा और नीचे गिराया, बगीचे का माली जाग गया। भगवान ने तुरंत रघुदास जी को अपने साथ लिया और दोनों वहां से भाग निकले।
---
### 🥥 कटहल का भोग
भगवान ने कटहल को रघुदास जी के साथ मिलकर खाया और कहा, "देखो रघु, इस चोरी में जो आनंद है, वह कहीं और नहीं मिलता।" रघुदास जी ने भगवान के साथ इस अनुभव को साझा किया और उनकी मित्रता और भी गहरी हो गई।
---
### 🌟 संदेश
यह कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान अपने भक्तों के साथ मित्रवत व्यवहार करते हैं और उनके साथ हर अनुभव को साझा करते हैं। भगवान की भक्ति और विश्वास से भक्तों के जीवन में अद्भुत परिवर्तन आते हैं।
Story 2✍🏽✍🏽✍🏽
भगवान श्री जगन्नाथ की भक्ति और प्रेम की अनेक अद्भुत कथाएँ प्रचलित हैं, जो उनके भक्तों के प्रति असीम स्नेह को दर्शाती हैं। एक ऐसी ही प्रेरणादायक कथा है, जिसमें भगवान श्री जगन्नाथ एक कसाई के पास रहना चाहते थे,
---
### 🐐 कसाई और भगवान की अनोखी मित्रता
उड़ीसा के एक गाँव में सदान नामक एक ईमानदार कसाई रहता था। वह अपने व्यवसाय में सच्चाई और ईमानदारी से काम करता था। दिलचस्प बात यह थी कि वह अपने व्यापार में शालिग्राम शिला का उपयोग करता था, जो भगवान श्री विष्णु का प्रतीक मानी जाती है। सदान शालिग्राम शिला को अपने व्यवसाय में एक वजन के रूप में उपयोग करता था।
एक दिन एक ब्राह्मण ने सदान के पास शालिग्राम शिला को देखा और तुरंत पहचान लिया कि यह भगवान श्री विष्णु का रूप है। ब्राह्मण ने उसे लेकर पूजा की और भोग अर्पित किया। रात को भगवान श्री विष्णु ने ब्राह्मण को स्वप्न में दर्शन दिए और कहा, "मुझे वापस उस कसाई के पास भेज दो
ब्राह्मण ने भगवान से पूछा, "प्रभु, मैं आपकी पूजा करता हूँ, फिर भी आप उस कसाई के पास क्यों जाना चाहते हैं?" भगवान ने उत्तर दिया, "वह कसाई दिनभर *गीत गोविंद* गाता है, और उसकी भक्ति में एक विशेषता है, जो मुझे अत्यंत प्रिय है।"
---
### 🎶 *गीत गोविंद* की महिमा
यह कथा हमें यह सिखाती है कि भगवान श्री जगन्नाथ अपने भक्तों की भक्ति और प्रेम को सर्वोपरि मानते हैं। चाहे वह कोई साधारण व्यक्ति हो या उच्च वर्ग का, यदि उसका हृदय शुद्ध है और वह भगवान की भक्ति में लीन है, तो भगवान उसकी भक्ति को स्वीकार करते हैं।
भगवान श्री जगन्नाथ की यह कथा उनके भक्तों के प्रति असीम प्रेम और स्नेह को प्रकट करती है। यह हमें यह संदेश देती है कि भगवान की भक्ति में शुद्धता और प्रेम होना चाहिए, तभी वह अपने भक्तों के पास रहते हैं।
फॉलो करें:✍🏽
0 टिप्पणियाँ