बेबसी में खुद को खुद से संभाला है
किसी ने ना संभाला है
किसी ने भी ना सराहा है ।
कौन किसका होता है
सब पैसो की माया है
वरना धनी के धर किट्टी पार्टी
और गरीबों के धर सुबह खाया
तो शाम को अन्न सफाया है ।
जो अमीर है उन्हें अपनी पड़ी है
जो अपने है वो पैसो के भूखे है
ये रिश्ते नाते, सारे दिखावे है
पैसो से ही है सब रिश्ते साहब
वरना गरीबों का भी
कोई रिश्तेदार जरूर होता ।
मैने पल -पल अपनो को बदलते देखा है
जरूरत में हामी भरने वालो को
जरूरत निकलते ही मुँह फेरते देखा है
सब पैसो की माया है साहब
अपना और पराया क्या ।
जब गरीबो के धर निबाला ना हो
किसी की दशा दुर्दशा में हो
कहा होता है तब रिश्ता सारा
कहा होता है सारा समाज हमारा
जब करनी हो शिकायते हजार
जीवत हो जाते हैं सारे एक बार।
परवाह ना करना ही बेहतर है इनकी
जो छोड़ जाए बूरे वक्त मे
उनसे रिश्ता ना रखना ही बेहतर है
ऐसे साथी ,परिवार, समाज कोई भी हो,
वही अपना है जो बूरे वक्त मे साथ रहे
और अच्छे वक्त में हरपल दुआं करे।
अपना मानो उसी को जो दे
मुसीबत में हरकदम पर साथ
जो आये पैसा और हैसियत देखकर
उनसे दूर से ही करो नमस्कार
जागरूक रहे सतर्क रहे और
ऐसे अपनो से दूर ही रहे।
-प्रीति कुमारी
4 टिप्पणियाँ
Nice 👌👌👌❤️❤️
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
जवाब देंहटाएंCorrect
जवाब देंहटाएंNice di
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