कर संकल्प अडिग अपने मन में
हर राह पे हैं संघर्ष बहुत
तू इसको ले चुनौति स्वरूप ।
तू क्यों डरता है आँधी से
ये मात्र हवा का झोका है
तू दर्पण बन अपने तन का
तेरे मन में खुद ही शोला है ।
नाम, काम, पहचान, पहुँच
ये जग में सभी उसी का है
जो लड़ ले मन की आँधी से
जो संघर्ष करे अपना अडिग।
तू क्यों डरता है जीत -हार से
ये तो एक माघ्यम है कुछ और नहीं
जीत -हार के बीच में ,जो तूने पाया
क्या इसका कोई मोल नहीं ।
संघर्ष रास्ता है बंदे
जो जीत दिलाता है पथ में
ये वो जड़िया है जीवन का
जो मनुष्य बनाता है हमें ।
❤बिना जले दिया में उजाला नहीं होती
तो बिन संघर्ष चमक कैसे आएगी।❤
प्रीति कुमारी
1 टिप्पणियाँ
Nice
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