आँखो की कश्ती में

भरे भवन में नयनों से
छलकाई तुमने मधुशाला
तेरी आँखों की कश्ती में
दिल डूब गया सो डूब गया ।

तुम आते -जाते झोखे तो नहीं
तुम पवन वेग की लहरे हो
तेरी प्यार बसी जो मन में मेरे
ये बस गई सो बस गई ।


देख के तेरी सूरत को
एक कल्प कसीस स्पर्शों में
एक अद्भुत उमंग की लहरे थी
उन लहरों में तन मन सारा
बस डूब गया सो डूब गया।

जो बीत गई सो बात नहीं
यह स्पर्श याद है अब भी हमे
तेरे कंधों पर हाथो को रखना
फिर प्रेम स्नेह मधुकर बरसाना
दिल में बस गया सो बस गया।

तेरे नयनों में मेरी नयनो का
तेरे दिल में अपने दिलों का
मेरी सांसो से तेरी सांसो का
एक अद्भुत स्पर्श का अनुभव था।

प्रीति कुमारी






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