सुनसान कट रही थी जिंदगी
तेरा आना एक उम्मीद का साया है
तुम्हें चाहूं ,तुम्हारी इबादत करूं
दिल ने दिल से दोहराया है ।
बहुत मुद्तो के बाद कोई दिल को भाया है उतर कर आँखो के रास्ते दिल में समाया है
उसकी कमियां भी खूबियां लगती हैं
उसपर नखरे भी 'उफ 'क्या खूब जचती हैं ।
कर दू समर्पण उसकी आगोश में खुद को
रहू ख्वाबो में ही उसके हरपल
इश्क़ उसका जरा सा खट्टा ,
जरा सा मिट्टा लगे पल पल।
चैन, शुरूर मेरा खो सा गया है
हां मुहब्बत मन्ने उससे हो तो गया है
बाते करूं तो उसको सुनती रहू
ना करू बाते तो उसको सोचती रहूं।
केवल ख्वाब ही ख्वाब है उसके इस दिल में
दिल बेचैन है मिलने को अलग
जरा बैठू उसके बाहो तले
जरा निहारू उसे रूह तलक।
ये जिंदगी कर दू तुझपर समर्पण
हर आरजू तुझ पर कुर्बान हैं
तुम शौक नहीं जरूरत से बन रहे हो
सारा वक्त,सारी मुहब्बत ,सारी ख्वाहिशे
तुझपर लूटा दू, तु मेरी आरजू मेरी जान हैं ।
प्रीति कुमारी


2 टिप्पणियाँ
Bhot khub.... 😁😀
जवाब देंहटाएं👌👌❤❤❤super
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