हुंकार सी आवाज थी
चारों दिशा में बज रही
चन्द्रगुप्त की जय जय कार थी।
योग्यता के नाम पर एक अनोखी
अद्भुत अद्वितीय अदम्य
लालीमा भरी हुई उसकी
चेहरे पर जो तेज थी।
चाणक्य के षड्यंत्र का
एक खिले परपंच का
वो आख़िरी मोहरा था
मौर्य के उत्कर्ष का।
मगध की भू पर एक
विशाल साम्राज्य निर्माण में
घनान्द की धड़ा में
उसकी विजय के अभिमान को।
भू धड़ा में मिट मैल कर
मौर्य का उत्कर्ष कर
एक अदम्य शासक की पहचान है
ये चन्द्रगुप्त का राज
मगध का साम्राज्य है ।
प्रीति कुमारी
1 टिप्पणियाँ
super
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