इश्क़ बेपनाह है तुमसे ❤

बताने की बात नहीं पर
बताने दोगी क्या?
इश्क़ बेपनाह है तुमसे
एक बारी जताने दोगी क्या?


तुम सुकून हो मेरे रूह की
तुम तितली हो, तुम पर्वत हो
तुम सपना हो बस तुम्ही से
लगे बस कोई अपना है ।

तुम्हें देखता हूँ गौर से
तुम आरजू हो मेरे दिल की
एक बार ही सही इस आरजू को
तुम अपने दिल से लगा लोगी क्या?

कुछ संभाला हैं तेरे नाम से
तुझे ही बस देना है
तेरी हर खुशी के ख़ातिर
मुझे कुछ भी कर जाना है ।

एक डिबिया रखा हूँ तेरे नाम का
उसमे भरा सिंदूर हैं
मेरी जिंदगी मेरी हमसफर
उसे मुझे तुमको लगाने दोगी क्या?

       प्रीति कुमारी 


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