असंभव तो कुछ भी नहीं

असंभव तो कुछ भी नहीं
तुझे पाना भी नहीं
तुझे भूलना भी नहीं ।


मिले तू किसी के साथ
फिर भी रहे हम साथ
ऐसा गिरा तो तू भी नहीं 
ऐसी गिरी मैं भी नहीं ।

सच से मुकर जाए
झूठ को आगे करके
ऐसा हालात ना आए कभी
गिरा कर आत्मसम्मान रहना परे
ऐसी मुहब्बत मुझे तो नहीं ।

अभी तो किरदार से गुस्सा हूँ
गुस्सा को जिद्द बना लूं
ऐसे ही हालात है हरधड़ी अभी
सब जान कर भी अनजान बनूं
ऐसी मुहब्बत है मुझे नहीं ।

सारे कशमकश में शामिल हैं तू
तुझ से जुदा मैं भी नहीं
जिस तरह एक दरमिया हैं शामिल
दोनो के बीच जिससे बेखबर तू भी नहीं
मैं भी नहीं। 😞

प्रीति कुमारी


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