तुम्हें इस कदर नजरअंदाज करना है

तुम याद भी आते हो और
मुझे तुम्हें याद भी नहीं करना है 
खफा है हम तेरी  गलतियों से
ये तुम्हें जताना भी नहीं है 
और खुद को अंदर ही अंदर मजबूत करना है ।


बदलते हालातो से
बहुत सख्त समझौता करना है
गुजर जाए तेरे सामने से
और तुम्हें नजर उठाकर ना तसलीम करना है ।

कुछ हद से ना चाहा था
ना ही कुछ हद को अब रखना है
वो हमे भूला दे या याद रखे
हमे उस पल से ही ना गुजरना है ।

कुरबत से तजूर्बा बटोरा है
शख्स जब बदल जाए दिल लगाकर तो
उसके बगैर जीने का सलिखा सीखा है ।

एहसासो के समंदर से
तुम्हें सलाम कर नाकाम करना है
तेरी यादो को भी गुस्ताखी करने का
हक ना दूं ,इस तरह तुम्हें नजरअंदाज करना है ।

प्रीति कुमारी

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