हमे यकीन था..

हमे यकीन था ,वो सिर्फ़ हमारे नहीं हैं
फिर भी मैंने कोशिश आख़री दम तक की
उसके बिना दिए इंपोटेंस के भी
हम ने साथ देने की सारी हदें पार की।


भुलाए भुलाया नहीं जा सकता वो लम्हा
जिसमे कई बार गिरे हैं हम
कभी खुद की नजरो में तो
कभी दिल से बिखरे हैं हम।

फिर भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा हमने
उसे चाहा तो ..…...........
उसकी कमियों को भी कबूला हैं हमने।

वक्त रहते, लाखों कोशिश करते रह गए
हम अकेले ही पल पल घुटते
और उसे बेपनाह चाहते रह गए
उसके शब्दों के सिवा कुछ अपना ना लगा
शब्दों का तालमेल भी उसका अपना रहा।

अब दिल से उतरने के बाद
मनाने आया है....….
फिर से एक बार झूठी मोहब्बत
जताने आया हैं...…..
सौ झूठ के बाद भी अकर कर चलता है
एक सच भी नहीं उसकी बात मे
और वफा की बड़ी बड़ी बात करता है।

प्रीति कुमारी

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