अधूरा इश्क़ कहा पूरा लगता हैं

कभी कभी खयालों में बसा शख्स भी अधूरा लगता हैं
हम जिसे बेहद चाहते हैं वो कहा पूरा लगता हैं।


सुंदर चेहरे पर फ़िदा दिल भी हार जाता हैं
जब ख़राब व्यवहार नज़र के सामने आता है।

सब कुछ बयां कहा हो पाती है मन से
चाहत चाहे जो भी हो मन ही मन दफ़न हो जाती हैं।

सोच समझ कर सताया जाता हैं
मोहब्बत में जान बूझ कर ठुकराया जाता हैं।

जाति, धर्म के नाम पर छोड़ दिये जाते हैं
सच बताना तो फिर क़रीब ही क्यों आते हैं।

खुशियां देने का वादा करने वाले ही अक्सर
खुशियां छीन लेते हैं, यही है मुहब्बत
इसी पर लोग कुछ पल गुमान कर लेते हैं।

मिलकर बिछड़ने से अच्छा तो ना मिलना है
वादों की गिरफ्त से अच्छा तो बेखबर रहना है।

कई ख़्वाब जोड़ कर कुछ पल निभाई जाती हैं
ये इश्क़ हैं साहब, इसमें जज़्बात बिखराई जाती हैं।

खो कर भी यादों में जवा रहता है
ये अधूरा इश्क़ हैं खयालों में भी कहा पूरा रहता हैं।

प्रीति कुमारी 🤗

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